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REFORMER

Har Har Mahadev जै श्री राम भगवान श्री कृष्ण ने गीता में उपदेश दिया है, इंसान सिर्फ मिट्टी का पुतला है इसके अतिरिक्त वह कुछ नहीं है, वह जो कुछ भी करता है चाहें अच्छे कार्य हो या बुरा प्रकृति के आदेश पर करता है अतः हम अच्छे हैं तो बुरे लोगों से बचना हमारी अपनी जबाबदारी बनती है क्योंकि बुरा करने वाले का प्रकृति विवेक छिन लेती है, हमारा भी बुरा वक्त आने पर विवेक छिन जाता है अतः हम समाज सेवियो का यह कर्तव्य बनता है कि समाज और व्यक्तिगत जरुरतों को देखते हुए स्वयं में भी परिवर्तन लाएं, जिससे समाज में और हमारे घर में अमूलचूल परिवर्तन हो सके, प्रकृति ने सबके अंदर स्वार्थ भर दिया है इसलिए यह दुनिया चलती है, किन्तु स्वार्थ का आवश्यकता से अधिक बढ़ जाना समाज के लिए खतरा की घंटी बजने लगता है | www.pramodin.com भाग्य और कर्म दोनों के सही संगम होने पर ही हमे कुछ मिल पाता है पुराणों में भगवान अपने भक्त को कुछ देना चाहते हुए भी भाग्य में नहीं होने पर नहीं मिल पाया है, सरकार और आम जनता किस खेत की मूली है अर्थात उनकी क्या अवकात है |अत: अपना रास्ता खुद बनाना पड़ता है, भगवान श्री राम राजा के लड़के थे फिर भी दुर्भाग्य के कारण सबका त्याग करके वन में जाना पड़ा कृपया सदैव साकारात्मक रहिये हमारे पास न तो किसी को बनाने का ताकत है न बिगाड़ने का, प्रकृति अपना खिलौना समझकर हम सबके साथ खेलती है और हम एक दूसरे से लड़ते हैं | यह हमारी बेवकूफी होती है